०६ जानेवारी २०१६

अहिराणी चारोळ्या


भस्टाचारना पायरे,
शेतकरी गया हारी...
जवय शेतकरी पिकाडाव नही,
तवय बठ्ठा जातीन हारी...
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गाडी मा बठीसन,
नेता मोठासक्या करतसं....
तेसनं कर्मानं फय,
मंग खाले मान टाकी भरतस..
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वावरकडे दखीसन,
बिचारा शेतकरी गयरा रडे...
बाराही महिना बिचारा,
गरिबीना झुडुपमाज सापडे...
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माय - बाप ना शिवाय,
खोटी शे गोट...
जेना माय - बाप नही,
दुन्याना त्या बिचारावर बोट...
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एक दिन माय गाव जास,
ते आख्खा दिन बोर वाटसं...
जेसना माय-बाप नही शेत,
त्या बिचारा कसा रातस...
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बापनी याद ऊनी,
त्या राखले दखीसन...
प्रणाम करस पप्पा,
पायवर डोकं टेकीसन...
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थंडी ऊनी, थंडी ऊनी,
ढुमाया,
जेन - तेन्या गोधळ्या समाया...
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📓कवीकुमार तुषार पाटील.
ज्ञानेश्वरत्न साहित्य कला मंच,
निंभोरा, ता. धरणगाव
जि. जळगाव

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